सिंदबाद की दूसरी यात्रा – साँपों की घाटी में साहस और चतुराई | Sindbad Ki Dusri Yatra, Hindi Story

सिंदबाद की दूसरी यात्रा – साँपों की घाटी में साहस और चतुराई

बहुत समय पहले की बात है, सिंदबाद नामक एक नाविक रहा करता था। उसके पिता ने उसे काफी धन दिया था, लेकिन उसने धीरे-धीरे सारा खर्च कर दिया। जब धन समाप्त हो गया, तब वह एक व्यापारी जहाज़ में सवार होकर समुद्री यात्रा पर निकल पड़ा। उसे पता चला कि वह भी व्यापार कर सकता है और धनी बन सकता है।

सिंदबाद पहली यात्रा के बाद कुछ समय तक ऐश से जीवन जीता रहा, लेकिन जल्द ही बेचैन हो उठा। उसने एक बार फिर सामान इकट्ठा किया और दूसरी यात्रा पर निकल पड़ा। इस बार वह एक विशाल जहाज़ पर सवार था जिसमें अन्य व्यापारी भी थे।

एक दिन सुबह जहाज़ एक हरे-भरे द्वीप पर रुका। वहाँ पेड़, फल, और एक मीठे पानी की धारा बह रही थी। सब व्यापारी वहाँ उतरे और आराम करने लगे। सिंदबाद ने भी वहाँ फल खाए और पेड़ की छाया में सो गया।

जब उसकी आँख खुली, तो जहाज़ जा चुका था। वह दौड़ा, लेकिन कोई उसकी आवाज़ नहीं सुन सका। वह निराश होकर द्वीप में वापस गया, तभी उसकी नजर एक विशाल सफेद गुंबद पर पड़ी। नज़दीक जाकर वह समझा कि वह कोई इमारत नहीं, बल्कि एक रॉक नामक विशाल पक्षी का अंडा था।

सिंदबाद ने तुरबन से खुद को रॉक के पंजे से बाँध लिया। पक्षी उड़ता हुआ उसे एक गहरे घाटी में ले गया। वहाँ ऊँचे पर्वत थे और अचानक पक्षी एक विशाल साँप को पंजे में पकड़कर उड़ गया।

सिंदबाद ने देखा कि घाटी के फर्श पर हीरे, माणिक, पन्ना, नीलम जैसी अनमोल रत्न बिखरे पड़े थे — जैसे ज़मीन पर तारे बिछे हों। लेकिन शाम होते ही वहाँ हजारों विषैले साँप निकल आए। डरे हुए सिंदबाद ने एक गुफा में जाकर पत्थर से दरवाज़ा बंद कर लिया और रातभर भूखा, डर में डूबा रहा।

सुबह होते ही साँप चले गए। तभी उसने देखा — ऊपर से मांस का टुकड़ा गिरा, और उसे पकड़ने एक विशाल गरुड़ आ गया। मांस में कई रत्न चिपके हुए थे।

सिंदबाद को पुरानी कहानियाँ याद आईं — व्यापारी मांस को रत्नों के साथ फेंकते थे ताकि पक्षी उसे अपने घोंसले में ले जाएं और बाद में व्यापारी रत्नों को इकट्ठा करें।

सिंदबाद ने खुद को एक बड़े मांस के टुकड़े से बाँध लिया। गरुड़ उसे उठाकर बाहर ले गया। वहाँ व्यापारी चौंक गए — उन्होंने सिंदबाद की कहानी सुनी और सम्मानपूर्वक उसे अपने साथ रखा।

कुछ दिन बाद सिंदबाद फिर जहाज़ पर सवार होकर अपने शहर लौट आया — न केवल धनवान, बल्कि अनुभव और विवेक से भरा हुआ।

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नैतिक संदेश

  • साहस और बुद्धिमत्ता संकटों में भी रास्ता निकाल सकती है।
  • प्राकृतिक दुनिया में छिपे रहस्य और व्यापारिक चतुराई अद्भुत हो सकते हैं।
  • हर यात्रा हमें कुछ सिखाती है — चाहे वह रत्नों की हो या आत्मबोध की।

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