मोती और मछुआरा | Moti Aur Machhuara, Hindi Story

मोती और मछुआरा 

एक गांव था समंदर के किनारे, जहाँ एक साधारण मछुआरा मदन अपनी पत्नी गौरी के साथ रहता था। उसके पास संपत्ति के नाम पर केवल एक पुरानी नाव और जाल था। घर में केवल मिट्टी के बर्तन और टूटी चारपाइयाँ थीं। लेकिन फिर भी मदन अपने जीवन से संतुष्ट था। वह हर दिन समंदर में मछली पकड़ता और पास के कस्बे में बेचता, जिससे दोनों का पेट भरता।

परन्तु गौरी संतुष्ट नहीं थी। उसे धन चाहिए था, रेशमी साड़ियाँ चाहिए थीं, वह अमीर औरतों की तरह जीवन जीना चाहती थी। मदन की सादगी उसकी आँखों में खटकती थी।

एक दिन मदन को मछलियों के साथ एक बड़ी सी सीप मिल गई। उसने उसे घर लाकर गौरी को दी। गौरी ने सोचा कि इससे बहुत सुंदर बटन बन सकते हैं और शायद अच्छी साड़ी खरीदी जा सकती है। वह उसे साफ करने बैठी तो एक बड़ा, अंडाकार मोती उसके हाथों में आ गिरा।

गौरी प्रसन्न हुई और बोली, "इसे बेच दो, इससे हमें खूब पैसा मिलेगा।" तभी मोती बोला, "मुझे मत बेचो, मुझे अपने पास रखो। मैं तुम्हें रोज़ सुबह जो चाहोगे वो दूँगा।"

मदन ने सोचा – अगर बिना मेहनत सब कुछ मिल सकता है तो क्यों न मोती को रखा जाए? उसने मोती को रख लिया।

अगले दिन मदन ने मोती से महल माँगा। झोपड़ी गायब और उसकी जगह भव्य महल खड़ा हो गया। फिर पानी की व्यवस्था, सुंदर वस्त्र, बर्तन, गहने – जो भी माँगते, मोती पूरा कर देता।

लेकिन गौरी की लालसा बढ़ती ही गई। उसने फर्नीचर माँगा, फिर बड़ा जहाज़, फिर गाड़ियों और हेलीकॉप्टर तक। देखते-ही-देखते मदन और गौरी अमीर हो गए।

पर पैसा आया तो शांति चली गई। चोरी का डर, व्यापार की चिंता, और हर सुबह नई माँग रखना – सब उनकी जिंदगी को बोझ बना रहे थे। एक दिन डाकू महल में घुसे और सब लूट कर चले गए।

फिर भी गौरी रुकी नहीं – उसने एक टापू पर नया साम्राज्य खड़ा किया। वो खुद को रानी कहने लगी।

अब आराम ने मदन को सुस्त बना दिया था। पहले जो समुद्र में तैरता था, अब छोटी दूरी में ही साँस फूलने लगी। एक दिन वो और गौरी मोटर बोट से घूमने निकले। बोट डूब गई। मदन ने पास खड़े जहाज़ तक तैरने की कोशिश की, पर थककर डूब गया।

"अगर हम मेहनत कर रहे होते, तो आज हम ज़िंदा होते। मुफ्त की सुविधाओं ने हमें आलसी बना दिया। इंसान का सबसे कीमती मोती तो मेहनत है।"

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नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है:

  • मेहनत ही असली संपत्ति है।
  • लालच का अंत विनाश होता है।
  • भाग्य से मिला धन बिना मेहनत के ज़्यादा देर तक नहीं टिकता।

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