कड़ी मेहनत का फल - श्रीनिवास रामानुजन की कहानी | Kadi Mehanat Ka Fal, Hindi Story
कड़ी मेहनत का फल - श्रीनिवास रामानुजन की कहानी
मद्रास के पोर्ट ट्रस्ट ऑफिस में एक दिन ऑफिसर सर स्प्रिंग अचानक निरीक्षण पर निकले। दोपहर का समय था — सारे कर्मचारी रिफ्रेशमेंट शॉप पर थे और ऑफिस बिल्कुल शांत था।
तभी उन्होंने देखा कि एक दुबला-पतला कर्मचारी चुपचाप अपनी डेस्क पर बैठा गणित के सवाल हल कर रहा था।
सर स्प्रिंग ने पूछा,
"तुम यहाँ अकेले बैठे क्या कर रहे हो?"
कर्मचारी ने शिष्टता से खड़े होकर जवाब दिया,
"मैं गणित के सवाल हल कर रहा हूँ, सर।"
सर स्प्रिंग ने उसके हल को गौर से देखा और उसकी असाधारण बुद्धिमत्ता से प्रभावित हुए। उन्होंने कहा,
"तुम गलत जगह काम कर रहे हो। तुम गणित के महान विद्वान हो।"
उन्होंने पूछा, "तुम्हारी शिक्षा कितनी हुई है?"
उस कर्मचारी ने शांत स्वर में जवाब दिया,
"सर, मैंने इंटरमीडिएट में फेल कर दिया है।"
सर स्प्रिंग ने हैरानी से पूछा, "इतने बुद्धिमान होकर भी फेल कैसे हो गए?"
कर्मचारी ने कहा,
"सर, मुझे गणित से इतना प्रेम था कि दिन-रात उसी में व्यस्त रहता। बाकी विषयों पर ध्यान नहीं दे पाया और इसलिए फेल हो गया।"
सर स्प्रिंग ने पूछा, "फिर दोबारा क्यों नहीं लिखा?"
उसने दुखी होकर कहा,
"हम बहुत गरीब हैं। गरीबी के कारण पढ़ाई आगे नहीं बढ़ा पाया।"
सर स्प्रिंग उसकी प्रतिभा और समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसे इंग्लैंड के प्रसिद्ध प्रोफेसर हार्डी को पत्र लिखने की सलाह दी। कर्मचारी ने कठिन गणितीय सूत्रों को हल करके पत्र भेजा।
प्रोफेसर हार्डी उस पत्र को पढ़कर हैरान रह गए। उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि इतनी प्रतिभा वाले व्यक्ति भारत में हो सकते हैं। उन्होंने कर्मचारी को इंग्लैंड बुलाया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाई की व्यवस्था की।
उसके शोध कार्य प्रसिद्ध गणित पत्रिकाओं में छपने लगे और उसका नाम चारों ओर चमकने लगा।
इंग्लैंड की प्रतिष्ठित संस्था रॉयल सोसाइटी ने उसे अपना फेलो चुना — यह एक बहुत बड़ा सम्मान है। अन्य विश्वविद्यालयों ने उसे डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया।
लेकिन इंग्लैंड की जलवायु उसके लिए अनुकूल नहीं थी। वह बीमार पड़ गया और कई इलाजों के बावजूद बीमारी नहीं गई। अंततः केवल 32 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो गई।
उस महान गणितज्ञ का नाम था — श्रीनिवास रामानुजन।
जो केवल परिश्रम और समर्पण के बल पर दुनिया के महानतम गणितज्ञों में गिने जाने लगे।
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| Ramanujan's Story |
कहानी से शिक्षा:
- सच्चा जुनून और मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।
- अगर रामानुजन ने बाकी कर्मचारियों की तरह समय नष्ट किया होता तो वे महान नहीं बन पाते।
- परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, लगन अगर सच्ची हो, तो रास्ते अपने आप बनते हैं।

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